Friday, February 25, 2011

'आशियाना-ए-ख्वाब..'



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"बुनता हूँ..
आशियाना-ए-ख्वाब..

गेसुओं से झाँकतीं..
सुर्ख निगाहें..
करती हैं..
बरबस सवाल..

थाम लेते गर..
मुसलाधार बारिश..
कंपकंपाती रात..
लबरेज़ अरमान..
कहते अपनी जुबां..

तन्हा हूँ..
महफ़िल है बेज़ार..

समा जाओ..
चिराग-सा रोशन..
मेरे गुल-ए-गुलज़ार..!!"

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Wednesday, February 23, 2011

'मेरे महबूब..'




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"चार पल का आशियाना..
दो पल की ख़ुशी..
इक पल का याराना..

मुबारक हो..
मेरे महबूब..
रूह का दिलकश नज़राना..!!"

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Monday, February 21, 2011

'' 'गुणी' आभूषण..''



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"शान्ति की ओढ़नी..
विनम्रता की चूड़ियाँ..
शालीनता की कलाई..
आदर-सत्कार की माला..

'अभिमानी' राक्षस ले गया..
मासूम 'गुणी' आभूषण..!!"


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Saturday, February 19, 2011

'आशा की लड़ी..'

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"आशा की लड़ी..
थाम चलो..

जीवन की कड़ी..
बाँध चलो..

अश्रु की छड़ी..
लाँघ चलो..

प्रयास से संभव..
हर डगर..

धैर्य की झड़ी..
टांग चलो..!!!"

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Thursday, February 17, 2011

'अचूक उपचार है..'




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"जीवन की सरगम..
चमक खो रहीं हैं..

स्वयं का प्रतिबिम्ब..
सुगंध बेच रहा है..

तनिक..
समीप बैठ..
ह्रदय-चाप सुनो..

घायल सैनिक-सा..
मनोबल हो रहा है..

दुर्लभ संबल..
मापदंड बुझा रहा है..

एकाकी का बाण..
लहूलुहान कर रहा है..

वाणी से निर्बलता..
मिटा जाओ..

सींच दो..
अंतर्मन का उपवन..

ए-मित्र..
अचूक उपचार है..
स्पर्श तुम्हारा..!!"


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'महताब की ज़ुबां..'




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"ज़ख्मों को सहलाने से..
यादों का गुलिस्तान..
महकने लगा..
क्या खलिश भेजी थी..
महताब की ज़ुबां..!!"


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Tuesday, February 15, 2011

'निगाह्बंद अश्क़..'




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"तस्सवुर की डाली पर..
उग आयें है..
यादों के साये..
कुछ अपने..
कुछ पराये..
गैरों की महफ़िल में..
बेगैरत मेहमां..

कौन मोल लगाये..
ज़ख्म-ए-रूह..

सुना है..
निगाह्बंद हैं अश्क़..
कुछ रोज़..!!"


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Monday, February 14, 2011

''ज़ख्मों की दरियादिली..'



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"ज़ख्मों की दरियादिली..
थाम के..
चंद लम्हे..

मोहब्बत की चाशनी..
लगा रही हो..
नश्तर की कलछी से..


खुशियों की कड़ाई..
समेट सके..
जिस्मों के फेरे..
गर..

रूह की परतें खुलें..!!"


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Sunday, February 13, 2011

'बारहां..'




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"उधड़ी पड़ी है..
रूह की परतें..

बंज़र हैं..
शज़र के मोती..

सूखे हैं..
सिगड़ी के पोर..

बैगैरत हैं..
अरमानों के साये..

बेवफ़ा हैं..
ज़िगर के ताले..

ग़मज़दा हैं..
हथेली के छाले..

बेआबरू हैं..
वजूद के सपने..

बारहां..
बोसा जलाती है..
सर्द रातें..!!"

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Tuesday, February 8, 2011

'एक अमूल्य भेंट..'



एक अमूल्य भेंट..अपने पिताश्री के लिये..!!!

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"आपके साये से...
मिलता है..
नया उत्साह..

डगमगाते हैं कदम..
जब कभी..
मिलता है..
नया आसरा..

जीवन की कठिनाईयाँ..
करती हैं जब विचलित..
मिलता है..
अदम्य साहस..

पथरीली राहें उगलतीं हैं..
शूल ज़हरीले..
मिलता है..
अदृश्य सहयोग..

निर्मित हुआ..
आपकी वाणी से..
ओजस्वी योद्धा..
मिलता है..
यश..
चहुँ ओर..

नमन है..
पिताश्री..

आपके आर्शीवचन से..
मिलता है..
जीवन का तमगा..!!!"


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Monday, February 7, 2011

'अर्पण है माँ..'


बसंत पंचमी के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ..!!

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"अर्पण है माँ..
चरणों में..

जगमगाती ज्योति से..
पायीं जो उपलब्धि..

जीवन की शाखा पर..
पायीं जो समृद्धि..

कठिन पगडण्डी से..
पायीं जो सिद्धि..

सर्वत्र साधना से..
पायीं जो शक्ति..

पुण्य संस्कारों से..
पायीं जो बुद्धि..

कृतज्ञ हूँ..

माँ सरस्वती..
करें स्वीकार..
वंदना..!!"


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Saturday, February 5, 2011

''पाषाण-ह्रदय..'


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"दूर हवा के झोंके से..
मचल जाता हूँ..
जीवन के हलके स्पर्श से..
संभल जाता हूँ..
जल की निर्मल बूँद से..
निखर जाता हूँ..
दिनकर की पहली किरण से..
चहक जाता हूँ..
चन्द्रमा की शीतल चाँदनी से..
महक जाता हूँ..

गहराई से गहरी है..
कुदरत की जादुई छड़ी..
'पाषाण-ह्रदय' सींच..
बनाया करुणा की लड़ी..!!"

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Friday, February 4, 2011

'माँ..'




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"देखता हूँ जब कभी..
आँखों के डेरे से..

समंदर लहराता है..
साँसों के फेरे से..

कैसे पहचान लेती हो..
बादल घनेरे से..

आँसू पोंछ देती हो..
आँचल के घेरे से..

वात्सल्य लूटाती हो..
सुबह-सवेरे से..

करुणामयी..
प्रेममयी..
स्नेही..

मेरी माँ..!!"

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Tuesday, February 1, 2011

'बूढ़े दरख्त..'




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"मोहब्बत में सुलगे जिस्म..अब कहाँ मिलते हैं..
जिस्म से रूह के नाते..अब कहाँ सिलते हैं..१..

रहने दे बेरुखी का आलम..तेरे दर पे सनम..
बूढ़े दरख्त पे घरौंदे..अब कहाँ खिलते हैं..२..

उल्फत जगमगाती है सितारों को हर शब..
ज़ख़्मी आरज़ू-से रुखसार..अब कहाँ छिलते हैं..३..

वफ़ा की आँधी जलाएगी नश्तर..हर नफ्ज़..
हबीब की बाजुओं में ख्वाब..अब कहाँ हिलते हैं..४..!!"

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