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प्रियंकाभिलाषी..
दस्तक-ए-मेहमान..
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Priyanka Jain
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Sunday, February 28, 2010
' शादाब..'
...
"आप की रहमत से..
चिराग हुए..
जलते थे..
हर सफ़र..
आज आबाद हुए..
यूँ ही रखना..
समंदर-ए-शफ़क़त..
गुमनाम थे..
आज शादाब हुए..!"
...
Saturday, February 27, 2010
'अक्स..'
...
"खूं से सना था..
माज़ी-ए-खंज़र..
अफ़साने भी लिपटे थे..
आगोश में कुछ..
मयखाने में बिखरी थीं..
आहें भी कुछ..
जज़्बा-ए-मोहब्बत..
दुरुस्त हुआ जाता है..
मिलता हूँ..
अपने अक्स से जब-जब..!"
...
' निगाहें दो-चार..'
...
"अब तक ना मिले थे तुम..
हुआ था दिल बेज़ार..
कभी फुर्सत से आना ज़रा..
कर लेंगे निगाहें दो-चार..!"
...
'ख्याल..'
...
"साकी को हुआ..
फिर मलाल है..
क्यूँ सहमा-सहमा..
हर सवाल है..
फिज़ा से पूछो..
रंगत का उलझना..
रूह से चिपका..
वो ही ख्याल है..!"
...
Thursday, February 25, 2010
'ख़ामोशी के साये..'
...
"ख़ामोशी के साये..
बांधते हैं..
जब भी मुझे..
निकल आते हैं..
उछल कर..
जिस्म से..
रूह के नाते कई..!"
...
Sunday, February 21, 2010
'हम-नवां..'
...
"मुश्किल है..
हाल-ए-दिल बयां करना..
बेज़ार हों..
जब अपने ही..
हम-नवां कोई..!"
...
Saturday, February 20, 2010
'हया के बल..'
...
"सौंधी-सौंधी खुशबू..
रूह में क़ैद..
कुछ ऐसे..
पेशानी पर..
चमके..
हया के बल जैसे..!"
...
'पानी का कतरा.. '
...
"लटक-झटक..
उलट-पुलट..
चटक-मटक..
शरमा-घबरा..
अब आया है..
देखो..
यह पानी का कतरा..
पुराने बक्से से बाहर..!"
...
Friday, February 19, 2010
' फूल..'
...
"महबूब की बाहों का सहारा पा..
चल रहीं हूँ..
फिर से..
जो बिखरूं..
इस दफा..
कुछ फूल सज़ा आना..
मय्यत पर मेरी..!"
...
'दिल की राहें.. '
...
"अजीब हैं..
दिल की राहें..
जब ढूँढो..
अपना कोई..
नश्तर के सिवा..
सहलाने को..
नज़र आता नहीं..
अहबाब कोई..!"
...
Monday, February 15, 2010
'जाम..'
...
"नासूर कुछ..
छुपा रखे हैं..
अब तलक..
अश्क कुछ..
चिपका रखे हैं..
अब तलक..
जाम टकराते हैं..
वाईज़ कई..
छलकाना उल्फत..
इतनी तबियत..
सबकी नहीं..!"
...
'अदभुत चमकीला संसार..'
...
"चमक-दमक कर निकली सवारी..
डाले जितना गुड़..मीठा उतना पावे..
खाना नसीब नहीं..महफ़िल में लोगों को..
पर..सोना-चाँदी से भरपूर..दुल्हन घर आवे..!"
...
...
"गम की स्याही..
चिपकाई..
रूह पर..
इस कदर..
जितना रंग डालो..
गहराता जाएगा..
रिश्ता तेरा-मेरा..!"
...
Sunday, February 14, 2010
...
"खुशनुमा है..
जन्नत सारी..
खुदा ने बिखेरी है..
हर तरफ खुमारी..
सैर कर आयें..
गाड़ी में उसकी..
नाम है जिसका..
रहमत तुम्हारी..!"
...
Saturday, February 13, 2010
'मौसम-ए-इज़हार..'
For so-called a Special Week of expressing one's feelings..
...
"मौसम है..
इज़हार का..
चलो..
राज़-ए-दिल..
खोल देते हैं..
कुछ जज़्बात लपेट 'Flowers' में..
भेजना तुम..
कुछ अरमां समेट 'Chocolates' में..
हम भेज देते हैं..
जो रह जायेंगे..
बिखरे यहाँ-वहाँ..
'Text/SMS' कर देंगे..
कितना आसां है ना..
'मौसम-ए-इज़हार' में..
'इश्क-ए-इज़हार'..
वो मान जाएँ..
तो आबाद..
ना मानें..
तो नाबाद..!"
...
...
"कुछ अधूरी साँसें..
कुछ अधूरी गुफ्तगू..
कुछ मैं अधूरा..
कुछ अधूरी जुस्तजू..!"
...
Thursday, February 11, 2010
...
"जाते-जाते..
इक कसक छोड़ गया..
नाज़ था जिसपे..
वो शफ़क़ तोड़ गया..
रहूँ तन्हा..
ता-उम्र..
इक फ़रमान..
रूह पर जोड़ गया..!"
...
Wednesday, February 10, 2010
...
"एहसासों की दहशत फैली है..
इस कदर..
ढूँढने निकला चिराग..
आया महबूब का चेहरा नज़र..!!"
...
'दोस्ती का जुराब..'
...
"दामन..
उफ़..
खुशबू से महकता हुआ..
दरिया..
उफ़..
ताज़गी से उफ़नता हुआ..
इन्द्रधनुष..
उफ़..
रंगों से चहकता हुआ..
सरसों..
उफ़..
काज़ल से दमकता हुआ..
आसमां..
उफ़..
सितारों से लचकता हुआ..
गुलिस्तान..
उफ़..
जज्बातों से सरसराता हुआ..
अजीब है..
दोस्ती का..
यह..
तोहफा..
यह..
ख्वाब..
यह..
पोशीदा..
यह..
जुराब..!"
...
'फफ़कने ना देंगे..'
...
"शून्यता कभी होने ना देंगे..
चिंगारियां कभी बुझने ना देंगे..
बढ़ते रहो..हर डगर..ए-पथिक..
हौसलें कभी फफ़कने ना देंगे..!"
...
Friday, February 5, 2010
'संभाल रखा है..'
...
"ख्याल तुम्हारा इक-इक..
संभाल रखा है..
दिल को हमने भी..
लुभा रखा है..
कमसिन अदाएं..
तिरछी निगाहें..
उफ़क़ की खुशबू..
मस्त फज़ाएँ..
जादू बेशुमार..
सुर्ख वफ़ाएँ..
दरिया से रंजो-गम..
निकाल रखा है..
सच..
ख्याल तुम्हारा इक-इक..
संभाल रखा है..!"
...
Tuesday, February 2, 2010
'कभी तड़पाया करो..'
...
"शब का खौफ बिखेरती हुई..
उसकी यादें..
टकरा गयीं..
जेहन से..
इलज़ाम लगे..
एहसासों के परिंदों पे..
बिन बुलाये..
क्यूँ आते हो..
कभी तो..
नीली सिगड़ी बरसाया करो..
अंजुमन से निकल..
मुझे कभी तड़पाया करो..!"
...
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