Sunday, February 28, 2010

' शादाब..'


...

"आप की रहमत से..
चिराग हुए..

जलते थे..
हर सफ़र..
आज आबाद हुए..

यूँ ही रखना..
समंदर-ए-शफ़क़त..

गुमनाम थे..
आज शादाब हुए..!"

...

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