Saturday, June 5, 2010

'आशियाना-ए-कब्र..'


...

"दिल की वादियों में..
ठहरा अक्स..
रूह में महफूज़..
फलक की तहज़ीब..
कातिल लगाये बैठा..
बेहिसाब नक़ाब..
ज़ार-ज़ार मिसाल देता..
अज़ीज़ रकीब..
दस्तूर हैं..
निराले कुछ..
शिकवे सजते..
आशियाना-ए-कब्र..!!"

...

11 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Udan Tashtari said...

बहुत सही!

संजय भास्‍कर said...

फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई

अरुणेश मिश्र said...

अजीब
रकीब दस्तूर है........

wah ,! ! !
lajabav ,

Dr. C S Changeriya said...

bahut khub



फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई

sanu shukla said...

sundar rachana...

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत सुंदर रचना...

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद उड़न तश्तरी जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद अरुणेश मिश्र जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद शेखर कुमावत जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सानू शुक्ला जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद महफूज़ अली जी..!!