Monday, August 9, 2010

'कब थमेगा..'



...

"चंद लकीरों में..
उलझती तकदीर..
बंद जिस्म में..
घुटती रूह..
मीलों फैला सुकूत..
सिलवटों के लिहाफ..
दश्तों-ए-सहरा..

मज़हबी सियासत..
रेज़ा-रेज़ा टपकता खूं..
कतरा-कतरा लपकता ईमां..
उफ़..
कब थमेगा..
मंज़र-ए-बेबसी..!!"

...

3 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

डॉ .अनुराग said...

देखिये उम्मीद पर दुनिया कायम है ....

संजय भास्‍कर said...

हमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन है
कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद अनुराग जी..!!