Thursday, August 26, 2010
'खुदा बुदबुदाता हूँ सबसे ज्यादा..'
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"लपेट पोटली जज़्बातों की..छुपाता हूँ सबसे ज्यादा..
ना देख ले ज़माना..खुदा बुदबुदाता हूँ सबसे ज्यादा..१..
मौत से चुरा लाया तस्वीर-ए-चांदनी..
साज़-ए-महफ़िल..गुनगुनाता हूँ सबसे ज्यादा..२..
बेखबर शायरी..खूं से लबालब बेगैरत खंज़र..
बिखरे मरासिम..क्यूँ डुगडुगाता हूँ सबसे ज्यादा..३..
दास्तान-ए-ऐतबार मसला हुआ इस मौसम..
वाह..क्या एहद-ए-हसरत गुनगुनाता हूँ सबसे ज्यादा..४..
टपका जो आलम-ए-मोहब्बत..क़यामत होगी..
निचोड़ कश्तियाँ साहिल पे..कुलबुलाता हूँ सबसे ज्यादा..५..
कहते हैं वाईज़..शायर अजीब.. ना कोई ठिकाना..
राज़-ए-ज़िन्दगी नम आँखें..मुस्कुराता हूँ सबसे ज्यादा..६..!!"
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ग़ज़ल..
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