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...
"देखता हूँ जब कभी..
आँखों के डेरे से..
समंदर लहराता है..
साँसों के फेरे से..
कैसे पहचान लेती हो..
बादल घनेरे से..
आँसू पोंछ देती हो..
आँचल के घेरे से..
वात्सल्य लूटाती हो..
सुबह-सवेरे से..
करुणामयी..
प्रेममयी..
स्नेही..
मेरी माँ..!!"
...
7 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
माँ के प्रति कृतज्ञतापूर्ण नमन!
:)
chhoo gayi....
धन्यवाद मयंक साहब..!!
धन्यवाद शेखर सुमन जी..!!
बहुत ही भावपूर्ण और शशक्त अभिव्यक्ति
बहुत खूबसूरत और भावुकता पूर्ण कोमल अहसास
धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!
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