Thursday, July 28, 2011

'खज़ाना-ए-दिल..'



...


"दफ़ना आया हूँ..
वजूद..
रोज़-रोज़ की दलीलों ने..
ऐवें ही..
खज़ाना-ए-दिल..
बेज़ार किया..!!"

...

19 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

nilesh mathur said...

बहुत सुंदर।

कविता रावत said...

bahut badiya!!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद निलेश माथुर जी..!!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद कविता रावत जी..!!!

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत बढ़िया।
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कल 29/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

सागर said...

bhaut sunder...

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सागर जी..!!

Rakesh Kumar said...

मुझे लगता है आप 'मितभाषी' हैं.
या यह मेरा भ्रम है,जरा बताईयेगा
प्रियंका जी.
शब्दों की अनोखी जादूगिरी करतीं हैं आप.

Dorothy said...

खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.

सदा said...

बहुत बढि़या ... ।

निवेदिता श्रीवास्तव said...

nice .....

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद राकेश कुमार जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद डोरोथी जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सदा जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद निवेदिता जी..!!

विभूति" said...

bhaut khub....

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सुषमा 'आहुति' जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संगीता आंटी..!!!

Muzzy said...

app to bahut achha likhti hain. :)