Thursday, July 14, 2011

'हयात-ए-ज़िन्दगी..'



...

"गूंजता सन्नाटा..
यादों की शहनाई..
कदमों की आहट..
कंपकंपाता जिस्म..
सुलगती रूह..
बेइन्तिहाँ इंतज़ार..
सुकून-ए-लफ्ज़..

हयात-ए-ज़िन्दगी..
ना कर..
यूँ जुदा..!!!"

...

7 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संजय भास्‍कर said...

वाह बेहतरीन !!!!

भावों को सटीक प्रभावशाली अभिव्यक्ति दे पाने की आपकी दक्षता मंत्रमुग्ध कर लेती है...

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सुषमा 'आहुति' जी..!!

Roshi said...

sunder bhav..

विभूति" said...

बहुत ही कम शब्दों में आप बहुत ही गहरी बात कर जाती है....

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद रोशी जी..!!!

Nidhi said...

बहुत ही बढ़िया....हरेक लफ्ज़ जैसे इन्तेज़ार की एक लंबी दास्ताँ बयान कर रहा है

priyankaabhilaashi said...

सादर आभार..दी..!!!