Thursday, January 12, 2012

'अरमान-ए-रूह..'




...


"आबरू-ए-चाहत..
सुन ज़रा..
ना चलाना कश्ती-ए-मोहब्बत..
हर मोड़ वसूलेंगे..
अरमान-ए-रूह..
अहल-ए-दुनिया..!!"

...

8 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

vidya said...

वाह...बहुत बढ़िया.

Anonymous said...

umdaa...

Prakash Jain said...

wah!!! Bahut Khub !!!

Nidhi said...

इतनी सी बात से डर कर
मोहब्बत करना क्यूँ छोड़ा जाए...कश्ती-इ-मोहब्बत को क्यूँ मोड़ा जाए

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद विद्या जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद चिराग जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद प्रकाश जैन जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दी..!!