Wednesday, July 25, 2012
'महँगाई..'
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"कुछ मकां घर नहीं हो पाते..
कुछ रिश्ते शादाब नहीं हो पाते..
महँगाई ने चूल्हे की साँस तोड़ दी..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/25/2012 08:00:00 AM
0
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त्रिवेणी..
Wednesday, July 18, 2012
'विधि-विधान..'
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"आना-जाना खेल जीवन का..
विधि-विधान बदल सके न कोई..
सुख-दुःख:..लेखा-जोखा..
भोग करे फसल जितनी बोई..!!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/18/2012 02:13:00 AM
2
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ज़िन्दगी..
Tuesday, July 17, 2012
'बदनाम..'
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"मेरी इबादत का इंतज़ाम हुआ..
हर नफ्ज़..आज फिर बदनाम हुआ..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/17/2012 06:12:00 AM
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बस यूँ ही..
Thursday, July 12, 2012
'अजीब-सा चन्द्र..'
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"हथेली पर तुम्हारे..
अजीब-सा चन्द्र..
शीतलता की बजाय..
देह में मेरी..
भर देता है गर्माहट..
क्यूँ अक्सर..
ह्रदय की धमनी..
बदल देती है..
नियति..
और
पलायन होता है..
'नीच' से 'उच्च' की ओर..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/12/2012 05:48:00 AM
4
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दास्तान-ए-दिल..
Tuesday, July 10, 2012
'साँस की डोरी..'
...
"मेरी दुखती रग पर हाथ आया..
जब तेरा..
साँस की डोरी..
फीके कर गयी रिश्ते सारे..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/10/2012 02:21:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Monday, July 9, 2012
'बेचैन रवानी..'
...
"मायने बदले..
मियाद कम हुईं..
बेचारा दिल..
सह ना सका..
दीवारों में क़ैद रूह की..
बेचैन रवानी..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/09/2012 01:19:00 AM
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बस यूँ ही..
Saturday, July 7, 2012
'सूक्ष्म संकीर्ण..'
...
"पश्चाताप गहराता जा रहा..
क्यूँ बंधन स्वीकार किया..
काश..
न झुका होता..
समाज की सूक्ष्म संकीर्ण दीवारों के आगे..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/07/2012 02:55:00 AM
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बस यूँ ही..
Friday, July 6, 2012
'मर्यादा..'
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"सुनो..
कल रात भी तुम पीकर आये थे..
उलटा-सीधा कहते रहे..
बहुत समझाया..
पर..
पर..
तुम कब समझते हो..
झूठ-सच करते-करते..
अब फरेब ना टिक सकेगा..
हर साँस की भी अपनी मर्यादा होती है..
जीवन की त्रासदी..
अंतर्मन का बिछोह..
बहुत सालता है..
जिसका अनुभव तुम कर पाओ...
ये संभव ही नहीं..!!!"
...
"सुनो..
कल रात भी तुम पीकर आये थे..
उलटा-सीधा कहते रहे..
बहुत समझाया..
पर..
पर..
तुम कब समझते हो..
झूठ-सच करते-करते..
अब फरेब ना टिक सकेगा..
हर साँस की भी अपनी मर्यादा होती है..
जीवन की त्रासदी..
अंतर्मन का बिछोह..
बहुत सालता है..
जिसका अनुभव तुम कर पाओ...
ये संभव ही नहीं..!!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/06/2012 10:19:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Thursday, July 5, 2012
'टुकड़े..'
...
"बीत जाता है..
सब कुछ..
समय के साथ..
शेष रहते हैं..
टुकड़े अनगिनत..
वियोग से सरोबार..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/05/2012 02:22:00 AM
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मेहमां यादें..
Tuesday, July 3, 2012
'गुरु-पूर्णिमा..'
गुरु-पूर्णिमा पर समस्त गुरुजनों का हार्दिक आभार एवं शत-शत नमन..!!
...
"अर्पण उपलब्धि..
जीवन-श्रृंगार..
नमन गुरुवर..
असंख्य उपकार..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/03/2012 01:41:00 AM
6
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गुरुजन..