Sunday, October 7, 2012

'कविता..'





...


"मेरी कविता की..
हर पंक्ति..
रची-बसी तुमसे..

सुबह की पहली लाली लिये..
चहकी तुमसे..

दोपहर की अल्हड़ वाणी लिये..
दहकी तुमसे..

शाम की मदमस्त रवानी लिये..
बहकी तुमसे..

रात की भीगी चांदनी लिये..
महकी तुमसे..!!"

...

2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बेहतरीन प्रस्तुति वाह!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ जी..!!