Tuesday, October 29, 2013

'गिरफ़्त..'








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"तेरे दिल में बसता हूँ..जानम..
तेरी हर साँस में सुन शोर मेरा..
करने दो एक बार फिर..
इक कोशिश नाकाम-सी..
क्या बांधेगा रवायतों का टोला..
तेरी गिरफ़्त में क़ैद..
मेरी हर आज़ादी है..!!"

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4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 31/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद यशवंत जी..

सादर आभार..!!

कविता रावत said...

बढ़िया प्रस्तुति
धनतेरस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!

दिगम्बर नासवा said...

काश ये आज़ादी कभी न मिले ..
दीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...