Wednesday, October 16, 2013
'स्याह जज़्बात..'
...
"सफ़र की पहली मंजिल..
हमसफ़र की दूसरी दहलीज़..
दरख्त की तीसरी रहगुज़र..
कागज़ की चौथी निशानी..
सुर्ख़ सैलाब सिमट जायेंगे..!!"
...
--स्याह जज़्बात..रूह की सबसे नीचे वाली बैंच पर..
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बेज़ुबां ज़ख्म..
2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
अर्थपूर्ण भाव ...
धन्यवाद राजीव कुमार झा जी..!!
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