Friday, February 14, 2014
'खुरदुरे हाथ..'
...
"इक मैं तेरी लिस्ट में जंचता नहीं..
मौसम कूचा-ए-दिल सजता नहीं..१..
वादा..वफ़ा..एहसास..रूमानियत..
कोई साज़..स्याह सहर बजता नहीं..२..
जुदाई महबूब की..हुकूमत दिल की..
कलम..कलाम इन दिनों रचता नहीं..३..
नापसंद खुरदुरे हाथ और ज़ालिम लकीरें..
नसीब देखो..जिस्म मेरा फबता नहीं..४..
बेनिशां वज़ूद..बेशुमार राहें..बेवज़ह मैं..
शोर ज़ख़्मी साँसों का..मचता नहीं..५..!!"
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--दर्द जाग उठे वीकेंड ईव पर.. :-)
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बेज़ुबां ज़ख्म..
2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
बहुत सुंदर.
धन्यवाद राजीव कुमार झा जी..!!
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