Sunday, April 6, 2014
'डिमांड..'
...
"तुम्हें पा ज़िन्दगी से नाता तोड़ा था जब..
एहसां ज़िन्दगी पर..कर दिया था बस..
कहती थी तुमसे हाले-दिल सुबह-शाम..
इसीलिए सर झुका गया..फ़क़त आसमान..
मुझे मुझसे बेहतर तुमने था जाना..
बिखरा कैसे..आज ये आशियाना..
'कुछ भी' डिमांड करना आदत थी..
रूह के पोर-पोर को राहत थी..
जां..तुम बिन कटती नहीं रतियां..
आ जाओ..कि बनती नहीं बतियां..!!"
...
--मिस यू..बैडली..
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अंतर्मन की पुकार..
7 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
धन्यवाद मयंक साब..
सादर आभार..!!
बहुत खूब...सुंदर...
बेहतरीन और बहुत कुछ लिख दिया आपने..... सार्थक अभिवयक्ति......
धन्यवाद Vaanbhatt जी..!!
धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!
बहुत हि सुंदर प्रियंका जी , अच्छी रचना , धन्यवाद !
नवीन प्रकाशन -: साथी हाँथ बढ़ाना !
नवीन प्रकाशन -: सर्च इन्जिन कैसे कार्य करता है ? { How the search engine works ? }
धन्यवाद आशीष जी..!!
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