Wednesday, June 18, 2014
'जाने-बहार..'
...
"तुम जाओ ना..
तह हदों की तोड़ के..
जिस्म मेरा छोड़ के..
रूह मेरी मोड़ के..
अजीब थी..ये दास्तां..
न समझे..ये मेहरबां..
क्या खलिश..
क्या कशिश..
तुम बिन..
बस..तपिश..
बाँध लो..
खुद से यूँ..
रहे बस..
जुस्तजू..
मैं तड़प रहा..
हर सूं..
सिलो न..
खुशबू..
आ जाओ..
बाँहों में..
खिले हम..
राहों में..
मेरे प्यार..
ऐतबार..
मेरे यार..
जाने-बहार..!!"
...
--बस यूँ ही..बह चले..हर्फ़.. :-)
Labels:
स्वच्छंद पंछी..
2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
sach me apke shabdo me jaadu hai....
सादर आभार संजय जी..!!
Post a Comment