Sunday, February 8, 2015
'सुना है..'
...
"सुना है..
दिल के दर्द..
ख़ूबसूरती से लिखते हो..
मोती अश्क़ के..
बेदर्दी से पिरोते हो..
चैन जिगर के..
वफ़ा से चखते हो..
चिराग ग़म के..
नूर से तकते हो..
क्यूँ..आखिर मुझसे..
मुहब्बत करते हो..
सुना है..
तुम सेलेब्रिटी ऑथर हो गए..
अवार्डज़ भी दो-चार पा चुके..
सोशल साइट्स पर वांटेड हो..
विमोचन-समारोह में चीफ़ गेस्ट बनते हो..
पर..
मैं अब भी..अधूरी नज्में लिखती हूँ..
उंगली को दिल से जोड़े रखती हूँ..!!"
...
--सिली मी..
Labels:
बेज़ुबां ज़ख्म..
0 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
Post a Comment