Tuesday, May 5, 2015

'तेरी-मेरी मोहब्बत की खीर..'




...

"यूँ धीरे-धीरे जो पकती है..
तेरी-मेरी मोहब्बत की खीर..

मैं चावल-सा कड़क..
तुम दूध-से कोमल..

तुम चीनी-से मीठे..
मैं केसर-सा गर्म..

तुम बादाम-से गुणकारी..
मैं पिस्ता-सा नटखट..

तुम किशमिश-से स्वादी..
मैं मलाई-सा जिद्दी..

रंग चढ़ा ऐसा..
लबरेज़ हो गया हूँ..

केसरिया गाते-गाते..
केसरिया हो गया हूँ..

आओ न..
चख़तें हैं..
साथ बैठ..
तेरी-मेरी मोहब्बत की खीर..!!"

...

--यूँ कि ‪#‎जां‬ की पसंदीदा है..खीर..

6 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 7 - 5 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1968 में दिया जाएगा
धन्यवाद

priyankaabhilaashi said...

सादर आभार..दिलबाग विर्क जी..!!

रश्मि शर्मा said...

बड़ी मीठी लगी खीर..

priyankaabhilaashi said...

सादर आभार रश्मि शर्मा जी..!!

विभूति" said...

खुबसूरत अभिवयक्ति.....

priyankaabhilaashi said...

सादर धन्यवाद सुषमा 'आहुति' जी..!!