Friday, March 25, 2016
'चाहत के जुर्माने..'
...
"रूह पे चला दे..
तेरे कॉम्पस का..
पॉइंटेड पॉइंट..
खेंच मनमर्ज़ी से..
छोटे-बड़े..
बेहिसाब सर्कल्स..
सहने दे ज़ख्म..
हल्के-गहरे..
सुबहो-शाम..
लिखे थे जो..
वस्ल-ए-रात..
मेरे नाम..!!"
...
--चाहत के जुर्माने..
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बेज़ुबां ज़ख्म..
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