Tuesday, April 12, 2016
'चलना ही ध्येय हो..'
...
"चलते चल, पथिक..
डगर का अस्तित्व..
तुझसे ही होगा..
बाँधते चल, नाविक..
लहर का सत्त्व..
तुझसे ही होगा..
संवारते चल, चितेरे..
महल का तत्व..
तुझसे ही होगा..
ढालते चल, विद्यार्थी..
पहल का रक्त..
तुझसे ही होगा..!!"
...
--चलना ही ध्येय हो..प्रतिक्षण..
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प्रेरणादायी सन्देश..
6 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 14 अप्रैल 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
हार्दिक धन्यवाद..यशोदा अग्रवाल जी..!
सादर आभार..दिलबाग विर्क जी..
बहुत सुंदर
हार्दिक धन्यवाद..रश्मि शर्मा जी!
प्रियंका जी, बहुत ही सुन्दर रचना है। आपने बहुत ही कम शब्दों में अच्छा संदेश दिया है।
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