Wednesday, August 4, 2021

'वजूद..'

...

"फिर वहीं लौट आता हूँ..
हर दफ़ा..
उस इक वादे के बाद..
न तेरा हो सका..
न वजूद अपना कायम रहा..

खामोशी के खंज़र..
नक़ाब में मिलेंगे..
दास्तान-ए-चिराग..
खूब सिलेंगे..
मेरी आस..
साँस..
और..
ताप..

तुम मौजूद रहना!!"

...

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