Sunday, August 7, 2022

'रास्ता..'



...

"और मुझे लिखने थे किस्से..कभी दर्द के, फ़रेब के, इस्तेमाल किए जाने के, आउटसाइडर ट्रीट किए जाने के, डंप हुए जाने के और यह भी जतलाये जाने के कि "तुम हो ही कौन?? क्या वजूद?? क्या ठिकाना? क्या शौहरत??? क्या रुतबा??"...

पर कुछ तो है ज़िंदगी में, कुछ दोस्त ऐसे मिले, वक़्त की आंधियाँ भी अपना ज़ोर न दिखा सकीं.. 
वो दिलदार, जो शामो-सहर थामे रहे मशाल-ए-हौंसला..
वो बेहतरीन सौदागर, जो रोशनी की सुबह से राब्ता करवाते रहे.. वो मज़बूत दरख़्त, जो छाँव में अपनी सींचते रहे.. 
वो इंद्रधनुषी खजाने, जो मंज़र संवारते रहे..
वो चमकीले सितारे, जो अपनी नरम सेज पर सहलाते रहे..
वो अज़ीज़ मेहमां, जो मेरा ठौर हो गए..

तो भुला दूँ वो जो अपना था ही नहीं कभी..या सहज ही सिमट जाऊँ?? या बाँध दूँ कलाई पर वादे सारे या संग हो जाऊँ??

तुम ही कहो, ए-दोस्त.. किस शज़र जाऊँ..!!"

...

--#बस यूँ ही..

11 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

कविता रावत said...

कौन अपना कौन पराया आजकल सरल नहीं रहा इसे समझना। .

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 09 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर
आप भी आइएगा....धन्यवाद!

विभा रानी श्रीवास्तव said...

बाँध दो कलाई पर वादे सारे
सामने वाले का निभाना या नहीं निभाना उसकी मर्जी

मार्मिक बातें

रंजू भाटिया said...

बेहतरीन

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

शज़र तो एक ही स्थान पर रहता है , दृढ़ता से .... विभाजी ने सही सुझाव दिया है । बेहतरीन अभव्यक्ति ।

Phoenix.. said...

सुंदर

priyankaabhilaashi said...

आदरणीया कविता रावत जी,

सादर आभार..

priyankaabhilaashi said...

आदरणीया यशोदा अग्रवाल जी,

बहुत आभार..

priyankaabhilaashi said...

आदरणीया महोदया विभा रानी श्रीवास्तव जी,

सादर धन्यवाद..

priyankaabhilaashi said...

आदरणीया सब्गीता आंटी,

सादर आभार हर बार यूँ प्रोत्साहित करने का..

priyankaabhilaashi said...
This comment has been removed by the author.