Friday, August 31, 2012

'कुछ ख्वाब..'





...


"हर पल..सपना-सा था..
रूह में बसा..अपना-सा था..

कारवाँ इक..चलता रहा..
एहसास इक..पलता रहा..

रंज-ओ-गम..जमता रहा..
एह-दे-वफ़ा..रमता रहा..

अहमियत फिसलती रही..
बेबसी मचलती रही..

अँधेरा चमकता रहा..
रकीब दमकता रहा..

सिलवटें उलझी रहीं..
रिवायतें झुलसी रहीं..

लम्हे जलते रहे..
पैमाने मलते रहे..


कुछ ख्वाब..

गुड-से तीखे..
नासूर बंजारे-से..!"

...

2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Prakash Jain said...

Bahut khoob,

Gudhh se tikhe khwab....Superb

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद प्रकाश जी..!!