Thursday, September 13, 2012
'तुम..'
...
"लकीरें - कुछ गहरी, कुछ हल्की..
गिरफ्त - कुछ मज़बूत, कुछ कमज़ोर..
जज़्बात - कुछ उत्तेजित, कुछ भावुक..
तुम - कुछ साँसें, कुछ मैं..
मैं - कुछ तुम, कुछ तुम, कुछ तुम, सब कुछ तुम....!!!"
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Labels:
बेबाक हरारत..
7 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
गहरे भाव !
बहुत खूब, लाजबाब !
प्रेम की पराकाष्ठा !
धन्यवाद यशवंत माथुर जी..!!
धन्यवाद ऋतू जी..!!
धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!
धन्यवाद दी..!!
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