Sunday, April 29, 2012

'आसमां ..'




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"उम्र-भर की तन्हाई..
बाटीं जब तुमने..
सींचा मेरा खोया हुआ बचपन..
जुम्बिश अता करी..
जो सीने को..
भूला सके न कोई..
ऐसा आसमां हो तुम..
मेरा वजूद..
मेरी पहचां हो तुम..!!!"

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Wednesday, April 25, 2012

'सल्तनत-ए-वफ़ा..'




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"चलो जां..
आज बदल लेते हैं..
अपनी रूह..
तुम मेरी रख लेना..
और मैं तुम्हारी..
फ़क़त..
तुम यूँ भी मेरे अपने हो..
सल्तनत-ए-वफ़ा एक्सचेंज ऑफर..
उधेड़ता है..
कशमकश के बादल..!!!"

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'खैरियत..'



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"खामोश रहूँ..
खैरियत रूह की..
मुमकिन हो फ़क़त..!!"

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Monday, April 23, 2012

'रईस फ़कीर..'



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"खामोशी के दरीचे..
खेंच लकीर..
मुनाफा कमा गए..
रईस फ़कीर..
खुदा-ए-खुदाई..
वल्लाह..!!"

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Wednesday, April 11, 2012

'इश्तिहार..'




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"है दम बहुत..
जानती हूँ..
बिखरना आदत नहीं..
इश्तिहार चिपका लेना..
रूह की स्याह दीवारों पर..!!"


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Tuesday, April 10, 2012

'हाल-ए-दिल..'

आपके लिये 'दी'..

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"शामिल मुझमें रहते हो..
हर नफ्ज़..
हर लम्हा..
हर सदी..

ख़ुशी जुड़ी तुमसे है..
नमी रुकी तुमसे है..
धड़कनें जमीं तुमसे हैं..

दिल ढूँढता तेरा रंग..
नज़रें ढूँढती तेरा एहसास..
रूह ढूँढती तेरी छुअन..

ए-जां..
हाल-ए-दिल..
छुपा कहाँ जाऊँगी..
तेरी पनाह में..
लौट आऊँगी..

आज शब..
सोना चाहती हूँ..
रोना चाहती हूँ..
प्यार चाहती हूँ..

इंतज़ार में..!!"

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Sunday, April 8, 2012

'रिवायती-जंग..'

समर्पित है एक सुंदर, सरल, पावन ह्रदय के स्वामी को..जिन्होंने हर क्षण मेरा साथ दिया, जब सारी दुनिया उधेड़बुन में थी..क्या होगा मेरा..!!!! आभारी हूँ..जीवनपर्यंत रहूँगी..


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"कितने रास्ते होकर गुज़रते थे हर शाम..
कितनी हसरतें मचलतीं थीं..उस चौबारे..
कितने दरख्त ढूँढ़ते थे..पोरों में नमी..
कितनी रातें पाती थीं अपनी पहचां..
कितने सपने हिलौरे मारते थे..

सब हैरां..परेशां..
कर पाऊँगी गुज़र-बसर..
दो जिस्मों की रिवायती-जंग में..!!!"

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'गुरुवर..'

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"कोलाहल परिश्रम से विचलित हुआ जाता है..
अंतर्मन से भावों का वेग निर्मल हुआ जाता है..

आभारी हूँ..गुरुवर, तुम शरण निखर हर क्षण..!!"

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Friday, April 6, 2012

'गुलाबी जिस्म..'

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"तुझसे शुरू हो..
तुझपे ख़तम..
अजीब रस्ते हैं..
गुलाबी जिस्म की..
चौको रूह के..!!"


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Thursday, April 5, 2012

'हार्दिक शुभकामनायें..'

भगवान श्री महावीर स्वामी जी के जन्म कल्याणक के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनायें..


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"वीर अद्भूत भूमि..
करता रहूँ नमन..
उपकार अनेक तुम्हारे..
ऐसा उत्कृष्ट जीवन..!!"


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'नासूर..'

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"नासूर रो पड़े..
देख नासूर मेरे..!!"

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'मय्यत..'

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"रिसती रही रूह..
बेबस तकता रहा..
मंज़र-ए-बर्बादी..
रिवायत-ए-मोहब्बत..

ना आँसू बहे..
ना आह निकली..
मय्यत मेरी सूखी रही..!!"


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Wednesday, April 4, 2012

'यकीं..'

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"यकीं को अपने यकीनन रखना..
तुम्हारा हूँ..तुम तक ही जाऊँगा..!!"

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Monday, April 2, 2012

'माज़ी..'

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"रेज़ा-रेज़ा महकता..
कतरा-कतरा समेटता..
माज़ी..
काश..!!"


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'कालचक्र..'

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"निश्चित रहा..कालचक्र..
बंटते ह्रदय के तार..

चौपड़ के खाने..
लिखते नया अध्याय..

जीवंत कौशल देख..
अचंभित हुआ..
हर एक बाल..

क्यों संभव नहीं..
मानव-उद्धार..
जटिल भाव..
फैलाते वैर-भाव..

मधुर वाणी..
सरल विचार..
तारे भाव-पार..!!"


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