आपके लिये 'दी'..
...
"शामिल मुझमें रहते हो..
हर नफ्ज़..
हर लम्हा..
हर सदी..
ख़ुशी जुड़ी तुमसे है..
नमी रुकी तुमसे है..
धड़कनें जमीं तुमसे हैं..
दिल ढूँढता तेरा रंग..
नज़रें ढूँढती तेरा एहसास..
रूह ढूँढती तेरी छुअन..
ए-जां..
हाल-ए-दिल..
छुपा कहाँ जाऊँगी..
तेरी पनाह में..
लौट आऊँगी..
आज शब..
सोना चाहती हूँ..
रोना चाहती हूँ..
प्यार चाहती हूँ..
इंतज़ार में..!!"
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