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"निश्चित रहा..कालचक्र..
बंटते ह्रदय के तार..
चौपड़ के खाने..
लिखते नया अध्याय..
जीवंत कौशल देख..
अचंभित हुआ..
हर एक बाल..
क्यों संभव नहीं..
मानव-उद्धार..
जटिल भाव..
फैलाते वैर-भाव..
मधुर वाणी..
सरल विचार..
तारे भाव-पार..!!"
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0 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
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