Sunday, April 29, 2012
'आसमां ..'
...
"उम्र-भर की तन्हाई..
बाटीं जब तुमने..
सींचा मेरा खोया हुआ बचपन..
जुम्बिश अता करी..
जो सीने को..
भूला सके न कोई..
ऐसा आसमां हो तुम..
मेरा वजूद..
मेरी पहचां हो तुम..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/29/2012 07:14:00 AM
3
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दास्तान-ए-दिल..
Wednesday, April 25, 2012
'सल्तनत-ए-वफ़ा..'
...
"चलो जां..
आज बदल लेते हैं..
अपनी रूह..
तुम मेरी रख लेना..
और मैं तुम्हारी..
फ़क़त..
तुम यूँ भी मेरे अपने हो..
सल्तनत-ए-वफ़ा एक्सचेंज ऑफर..
उधेड़ता है..
कशमकश के बादल..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/25/2012 05:15:00 AM
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दास्तान-ए-दिल..
'खैरियत..'
...
"खामोश रहूँ..
खैरियत रूह की..
मुमकिन हो फ़क़त..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/25/2012 12:42:00 AM
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बस यूँ ही..
Monday, April 23, 2012
'रईस फ़कीर..'
...
"खामोशी के दरीचे..
खेंच लकीर..
मुनाफा कमा गए..
रईस फ़कीर..
खुदा-ए-खुदाई..
वल्लाह..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/23/2012 01:05:00 AM
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ज़िन्दगी..
Wednesday, April 11, 2012
'इश्तिहार..'
...
"है दम बहुत..
जानती हूँ..
बिखरना आदत नहीं..
इश्तिहार चिपका लेना..
रूह की स्याह दीवारों पर..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/11/2012 02:42:00 AM
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प्रेरणादायी सन्देश..
Tuesday, April 10, 2012
'हाल-ए-दिल..'
आपके लिये 'दी'..
...
"शामिल मुझमें रहते हो..
हर नफ्ज़..
हर लम्हा..
हर सदी..
ख़ुशी जुड़ी तुमसे है..
नमी रुकी तुमसे है..
धड़कनें जमीं तुमसे हैं..
दिल ढूँढता तेरा रंग..
नज़रें ढूँढती तेरा एहसास..
रूह ढूँढती तेरी छुअन..
ए-जां..
हाल-ए-दिल..
छुपा कहाँ जाऊँगी..
तेरी पनाह में..
लौट आऊँगी..
आज शब..
सोना चाहती हूँ..
रोना चाहती हूँ..
प्यार चाहती हूँ..
इंतज़ार में..!!"
...
...
"शामिल मुझमें रहते हो..
हर नफ्ज़..
हर लम्हा..
हर सदी..
ख़ुशी जुड़ी तुमसे है..
नमी रुकी तुमसे है..
धड़कनें जमीं तुमसे हैं..
दिल ढूँढता तेरा रंग..
नज़रें ढूँढती तेरा एहसास..
रूह ढूँढती तेरी छुअन..
ए-जां..
हाल-ए-दिल..
छुपा कहाँ जाऊँगी..
तेरी पनाह में..
लौट आऊँगी..
आज शब..
सोना चाहती हूँ..
रोना चाहती हूँ..
प्यार चाहती हूँ..
इंतज़ार में..!!"
...
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priyankaabhilaashi
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4/10/2012 09:22:00 AM
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'दी..'
Sunday, April 8, 2012
'रिवायती-जंग..'
समर्पित है एक सुंदर, सरल, पावन ह्रदय के स्वामी को..जिन्होंने हर क्षण मेरा साथ दिया, जब सारी दुनिया उधेड़बुन में थी..क्या होगा मेरा..!!!! आभारी हूँ..जीवनपर्यंत रहूँगी..
...
"कितने रास्ते होकर गुज़रते थे हर शाम..
कितनी हसरतें मचलतीं थीं..उस चौबारे..
कितने दरख्त ढूँढ़ते थे..पोरों में नमी..
कितनी रातें पाती थीं अपनी पहचां..
कितने सपने हिलौरे मारते थे..
सब हैरां..परेशां..
कर पाऊँगी गुज़र-बसर..
दो जिस्मों की रिवायती-जंग में..!!!"
...
...
"कितने रास्ते होकर गुज़रते थे हर शाम..
कितनी हसरतें मचलतीं थीं..उस चौबारे..
कितने दरख्त ढूँढ़ते थे..पोरों में नमी..
कितनी रातें पाती थीं अपनी पहचां..
कितने सपने हिलौरे मारते थे..
सब हैरां..परेशां..
कर पाऊँगी गुज़र-बसर..
दो जिस्मों की रिवायती-जंग में..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/08/2012 12:21:00 PM
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'दी..'
'गुरुवर..'
...
"कोलाहल परिश्रम से विचलित हुआ जाता है..
अंतर्मन से भावों का वेग निर्मल हुआ जाता है..
आभारी हूँ..गुरुवर, तुम शरण निखर हर क्षण..!!"
...
"कोलाहल परिश्रम से विचलित हुआ जाता है..
अंतर्मन से भावों का वेग निर्मल हुआ जाता है..
आभारी हूँ..गुरुवर, तुम शरण निखर हर क्षण..!!"
...
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priyankaabhilaashi
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4/08/2012 09:24:00 AM
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उपकार..
Friday, April 6, 2012
'गुलाबी जिस्म..'
...
"तुझसे शुरू हो..
तुझपे ख़तम..
अजीब रस्ते हैं..
गुलाबी जिस्म की..
चौको रूह के..!!"
...
"तुझसे शुरू हो..
तुझपे ख़तम..
अजीब रस्ते हैं..
गुलाबी जिस्म की..
चौको रूह के..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/06/2012 10:23:00 AM
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हास्य..
Thursday, April 5, 2012
'हार्दिक शुभकामनायें..'
भगवान श्री महावीर स्वामी जी के जन्म कल्याणक के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनायें..
...
"वीर अद्भूत भूमि..
करता रहूँ नमन..
उपकार अनेक तुम्हारे..
ऐसा उत्कृष्ट जीवन..!!"
...
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"वीर अद्भूत भूमि..
करता रहूँ नमन..
उपकार अनेक तुम्हारे..
ऐसा उत्कृष्ट जीवन..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/05/2012 04:49:00 AM
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उपकार..
'नासूर..'
...
"नासूर रो पड़े..
देख नासूर मेरे..!!"
...
"नासूर रो पड़े..
देख नासूर मेरे..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/05/2012 04:36:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..
'मय्यत..'
...
"रिसती रही रूह..
बेबस तकता रहा..
मंज़र-ए-बर्बादी..
रिवायत-ए-मोहब्बत..
ना आँसू बहे..
ना आह निकली..
मय्यत मेरी सूखी रही..!!"
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"रिसती रही रूह..
बेबस तकता रहा..
मंज़र-ए-बर्बादी..
रिवायत-ए-मोहब्बत..
ना आँसू बहे..
ना आह निकली..
मय्यत मेरी सूखी रही..!!"
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priyankaabhilaashi
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4/05/2012 03:54:00 AM
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दास्तान-ए-दिल..
Wednesday, April 4, 2012
'यकीं..'
...
"यकीं को अपने यकीनन रखना..
तुम्हारा हूँ..तुम तक ही जाऊँगा..!!"
...
"यकीं को अपने यकीनन रखना..
तुम्हारा हूँ..तुम तक ही जाऊँगा..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/04/2012 04:01:00 AM
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दास्तान-ए-दिल..
Monday, April 2, 2012
'माज़ी..'
...
"रेज़ा-रेज़ा महकता..
कतरा-कतरा समेटता..
माज़ी..
काश..!!"
...
"रेज़ा-रेज़ा महकता..
कतरा-कतरा समेटता..
माज़ी..
काश..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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4/02/2012 04:51:00 AM
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बस यूँ ही..
'कालचक्र..'
...
"निश्चित रहा..कालचक्र..
बंटते ह्रदय के तार..
चौपड़ के खाने..
लिखते नया अध्याय..
जीवंत कौशल देख..
अचंभित हुआ..
हर एक बाल..
क्यों संभव नहीं..
मानव-उद्धार..
जटिल भाव..
फैलाते वैर-भाव..
मधुर वाणी..
सरल विचार..
तारे भाव-पार..!!"
...
"निश्चित रहा..कालचक्र..
बंटते ह्रदय के तार..
चौपड़ के खाने..
लिखते नया अध्याय..
जीवंत कौशल देख..
अचंभित हुआ..
हर एक बाल..
क्यों संभव नहीं..
मानव-उद्धार..
जटिल भाव..
फैलाते वैर-भाव..
मधुर वाणी..
सरल विचार..
तारे भाव-पार..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
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4/02/2012 04:29:00 AM
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अंतर्मन की पुकार..