Thursday, February 11, 2010

...

"जाते-जाते..
इक कसक छोड़ गया..
नाज़ था जिसपे..
वो शफ़क़ तोड़ गया..
रहूँ तन्हा..
ता-उम्र..
इक फ़रमान..
रूह पर जोड़ गया..!"

...

4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Anonymous said...

वाह वाह, कहाँ से बीनकर लाती हैं इन "मोतियों" को इतनी जल्दी जल्दी धन्यवाद.

रानीविशाल said...

Aapki is abhivyakti ne taazi ghatana ka dard phr yaad dila diya...
http://kavyamanjusha.blogspot.com/

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद ranivishal जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद ह्रदय पुष्प जी..!!