Wednesday, February 10, 2010
'दोस्ती का जुराब..'
...
"दामन..
उफ़..
खुशबू से महकता हुआ..
दरिया..
उफ़..
ताज़गी से उफ़नता हुआ..
इन्द्रधनुष..
उफ़..
रंगों से चहकता हुआ..
सरसों..
उफ़..
काज़ल से दमकता हुआ..
आसमां..
उफ़..
सितारों से लचकता हुआ..
गुलिस्तान..
उफ़..
जज्बातों से सरसराता हुआ..
अजीब है..
दोस्ती का..
यह..
तोहफा..
यह..
ख्वाब..
यह..
पोशीदा..
यह..
जुराब..!"
...
6 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
Wah! ji kya khub bayaa kiya hai dosti ko.....Aabhar!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
wah wah
bahut sundar
बहुत बढ़िया .....रचना
धन्यवाद ranivishal जी..!!
धन्यवाद अरशद अली जी..!!
धन्यवाद विचारों का दर्पण जी..!!
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