Wednesday, May 26, 2010
'शुक्रिया..'
...
"कैसे कर पाऊँगा जुदा..
रूह से..
दिया है जिसने..
शौहरत-ए-वफ़ा..
और..
निगाओं की धार पर..
आवारा-से..
दो पल..
शुक्रिया..
माज़ी..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/26/2010 09:31:00 AM
13
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
'खज़ाना-ए-दिल..'
...
"दफ़ना आया हूँ..
वजूद..
रोज़-रोज़ की दलीलों ने..
ऐवें ही..
खज़ाना-ए-दिल..
बेज़ार किया..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/26/2010 04:11:00 AM
12
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Tuesday, May 25, 2010
'माज़ी..'
...
"समझ सके जो..
रूह का शामियाना..
ऐसी..
मशाल चाहता हूँ..
तेरी इबादत में..
बिक जाऊँ..
ऐसा..
जुनूँ चाहता हूँ..
लम्हों के बादल..
फलक की मेहँदी..
ऐसा..
तौहफा चाहता हूँ..
आफ़ताब-सा लोहा..
महताब-सी सुराही..
ऐसा..
दरिया चाहता हूँ..
ए-माज़ी..
तुझमें..
सिमटना चाहता हूँ..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/25/2010 01:01:00 AM
2
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Monday, May 24, 2010
'वफ़ा के प्याले..'
...
"थाम कर..
रूह से..
नज़रों की खलिश..
चुरा लाया हूँ..
दो पल..
वफ़ा के प्याले..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/24/2010 02:25:00 AM
0
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''शब..'
...
"लिपट कर..
रोई बहुत..
गर्द से ढकी..
जुस्तजू से महकी..
दास्तान-ए-मोहब्बत..
गलीचा-ए-गुल..
नम हुआ..
गम-ए-शहनाई..
बाँह फैलाती..
तेरी और मेरी..
तस्सवुर की..
बहती हुई..
अरमानों की..
रूह में पनपती..
जिस्म में सुलगती..
तूफानी मंज़र..
आवारा..
मदमस्त..
मयकशी..
'शब'..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/24/2010 01:53:00 AM
4
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Saturday, May 22, 2010
'सेज़..'
...
"रंजिश से लबरेज़..
हाथों की लकीरें..
कब छीन सका है..
हिज्र-ए-सेज़-ए-गुल..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/22/2010 11:32:00 AM
3
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'बरकत..'
...
"निभा सकूँ..
बज़्म में चाहत..
ए-माज़ी..
जुनूं में..
बरकत..
अता हो..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/22/2010 11:23:00 AM
1 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
'वजूद..'
...
"आज बिखरा..
जो वजूद..
ना समेट सकूँगा..
अश्कों का दरिया..
और..
नज़रों में क़ैद..
अक्स..
मेरा..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/22/2010 11:17:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
'जुर्म..'
...
"आगोश-ए-खंज़र..
लहू फीका..
इबादत-ए-माज़ी..
जुर्म मेरा..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/22/2010 10:51:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
'वादियाँ..'
...
"ढूँढता हूँ..
जब कभी..
अपने निशां..
पाता हूँ..
तेरा अक्स..
वादियों में घुला..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/22/2010 07:27:00 AM
3
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'बिसात..'
...
"डूबा हूँ..सैलाब-ए-दुनियादारी में..
दफ्न हुआ हूँ..जश्न-ए-रिवायत में..
मेरी बिसात क्या..तेरी अदालत..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/22/2010 04:28:00 AM
7
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Tuesday, May 18, 2010
'मेरा लड्डू..'
For a 'Net' Friend..who I met by chance..and got to know..a genuine healer..a simple and sensitive heart..a beautiful person..full of zest..enthusiasm..life..!! A truly inspiring..and helpful human being..!!
Dedicated to u..!! Taking this liberty of calling u..'My Laddu'...!!!!!
...
"इक अपरिचित-सा..
'नेट' की वादियों में..
अचानक मिला ऐसे..
रेगिस्तान में..
ओस की बूँद..
बरसी हो जैसे..
ऐसा है..
'मेरा लड्डू'..
सबके राग में साज़ सजाता..
हर क्षण सबका मनोबल बढ़ाता..
जीने की नयी राह दिखाता..
बाँध के घुंघरू सबको लुभाता..
हर स्वप्न को साकार कराता..
ऐसा है..
'मेरा लड्डू'..
तलवार की धार झुठलाता..
कलम से लोहा मनवाता..
अंतर्मन में दीप जगवाता..
शब्दकोष का भंडार जड़वाता..
मानवता का संकल्प अपनाता..
ऐसा है..
'मेरा लड्डू'..
कठिनाई से नहीं घबराता..
दुश्मन के छक्के छुड़ाता..
हर दुःख को टक्कर लगाता..
संघर्ष का नया पाठ पढ़ाता..
कामयाबी का सेहरा सजाता..
ऐसा है..
'मेरा लड्डू'..
दिनकर की आभा-सा चमकाता..
चन्द्र निर्मल चन्दन-सा महकाता..
इत्र की सुगंध-सा सनसनाता..
सरसों के खेतों सा लहराता..
चिड़िया-सा आँगन चहकाता..
ऐसा है..
'मेरा लड्डू'..
रहस्य सुंदर अनायास गरजाता..
उजली दिशा सहज चढ़वाता..
शंखनाद से उत्साह भरपाता..
भँवर में चट्टान बन इठलाता..
बर्फीला तूफाँ भी शरमाता..
ऐसा है..
'मेरा लड्डू'..
दीपावली का उजाला बन जाता..
होली का मदमस्त रंग लगाता..
बसंत की रसभरी बहार उगाता..
सावन की सुंदर अनुभूति जगाता..
पतझड़ में भी गीतों की झड़ी लगाता..
ऐसा है..
'मेरा लड्डू'..
सबसे प्यारा..
सबका तारा..
सबसे न्यारा..
सबका नजारा..
सबका दुलारा..
ऐसा है..
'मेरा लड्डू'..
हर पल खुशियाँ पाओ..
खेलो..कूदो..उदम मचाओ..
आगे हर मंजिल बढ़ते जाओ..
प्रगति के नए झंडे गढ़ाओ..
अपनों को गौरवशाली कराओ..
देखा..
ऐसा है..
'मेरा लड्डू'..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/18/2010 03:25:00 AM
10
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Monday, May 17, 2010
'कबूल है..'
...
"ता-उम्र ढूँढा है...
साया तेरा..
ना कह सका..
मस्जिद हो..
तस्वीर हो..
आईना हो..
चाँद हो..
वजूद हो..
सबब हो..
कबूल है..
तहज़ीब हो..
रवानगी हो..
जिंदगानी हो..
मेरी कहानी हो..!!
रूह की निशानी हो..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/17/2010 08:01:00 AM
5
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Sunday, May 16, 2010
'मतला..'
...
"टूटा है..
आशियाँ फिर..
नम हुईं..
आँखें फिर..
जला है..
गुलिस्तान फिर..
बहा है..
दरिया फिर..
कब तक..
मतला लिखूँ..
गुफ्तगू का..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/16/2010 11:26:00 PM
6
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Saturday, May 15, 2010
'बेवफ़ा..'
...
"कुछ पल जुदाई के..
उधार लाया था..
माज़ी के कूचे से..
सोचा था..
इक आशियाँ बना..
रूह में छुपा रखूँगा..
आज फिर..
उलझा हूँ..
ख्यालातों से..
क्यूँ वफ़ा निभाई..
काश..
बेवफ़ा होता..
मैं भी..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/15/2010 03:37:00 AM
9
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'गुमान..'
...
"तेरा इक गुमान हूँ..
तुझ में शुमार हूँ..
रूह में रमता..
फ़क़त..
तेरा ही ख्याल हूँ..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/15/2010 03:09:00 AM
4
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Thursday, May 13, 2010
'नन्ही-सी प्यारी कोयल..'
...
"गुनगुनाती..
मूरत चमकाती..
मुस्कुराती..
रंग सजाती..
इठलाती..
सपने दिखलाती..
आई है..
मेरे आँगन..
बरसों बाद..
वो नन्ही-सी..
प्यारी कोयल..
व्याकुल है..
आपाधापी से..
आई है..
मेरे आँगन..
बरसों बाद..
वो नन्ही-सी..
प्यारी कोयल..
गुम हुआ..
शेह्तूत से..
घरौंदा उसका..
आई है..
मेरे आँगन..
बरसों बाद..
वो नन्ही-सी..
प्यारी कोयल..
निर्लज्ज खड़ी..
अट्टालिका..
चिढ़ा रही..
अन्धाधुन प्रहार..
आई है..
मेरे आँगन..
बरसों बाद..
वो नन्ही-सी..
प्यारी कोयल..
कितने मित्र..
कालग्रसित हुए..
अहंकारी मानसिकता के..
कब होगा इन्साफ..
आई है..
मेरे आँगन..
बरसों बाद..
वो नन्ही-सी..
प्यारी कोयल..
गूँज सहेज..
चुलबुलाहट समेट..
चल रहा..
मतलबी मंथन..
आई है..
मेरे आँगन..
बरसों बाद..
वो नन्ही-सी..
प्यारी कोयल..
दे सकता..
उसका कोना..
उसका घरौंदा..
सूत समेत..
आई है..
मेरे आँगन..
बरसों बाद..
वो नन्ही-सी..
प्यारी कोयल..
सुसज्जित सुशोभित..
इक प्रयास..
सजाया है..
उसका संसार..
आई है..
मेरे आँगन..
बरसों बाद..
वो नन्ही-सी..
प्यारी कोयल..
क्षमा करना..
करो विश्राम..
तुम्हारा रहेगा..
सदैव तुम्हारा..
आई है..
मेरे आँगन..
बरसों बाद..
वो नन्ही-सी..
प्यारी कोयल..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/13/2010 01:40:00 AM
5
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Tuesday, May 11, 2010
'बाज़ार-ए-ईमान..'
...
"जुस्तजू में भिगो दामन..
लाया हूँ शबनम..
थोड़ी नज़रों पर रख लेना..
थोड़ी फलक पर झटक देना..
सुना है..
अश्कों की कीमत..
लगती है..
बाज़ार-ए-ईमान में..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/11/2010 05:28:00 AM
7
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
'बरनी..'
...
"बरनी में रखा था..
एहसासों का ठेला..
मोहब्बत का रेला..
धडकनों का ठेला..
नज़रों का मेला..
आँसू निचोड़ देना..
लज्ज़त कम हो..
मासूम 'यादों' की..
जब..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/11/2010 04:32:00 AM
3
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
'तस्सवुर..'
...
"साँसों की डोर से बांधे..
रिश्ते कई..
एहसास कई..
निकले अरमान..
तस्सवुर से जब..
ना बची ख्वाईश कोई..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/11/2010 03:12:00 AM
1 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Saturday, May 8, 2010
'माँ...'
...
"महफूज़ रहा उम्र भर..तेरे साये से..
शफ्कत बरसता रहा..तेरे पाये से..
रोशन हुआ..फलक मेरा..
दुआ तेरी..उरूज मेरा..
मसरूर हुआ..वजूद मेरा..
महफिल तेरी..चरचा मेरा..
माँ...
तुझको अर्पण..
कुछ कलियाँ ताजी-सी..
कुछ यादें रूमानी-सी..
कुछ पलकें भीगी-सी..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/08/2010 02:56:00 AM
10
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
माँ..
Thursday, May 6, 2010
'आज फिर..'
...
"जुड़े हैं कांटें..
जीवन में ऐसे..
ना फांस निकलती है..
ना लहू के कतरे..
तुम तो..
बस छुअन से..
समा बाँध देते थे..
मेरी कश्ती गहराई से..
उबार दो..
आज फिर..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/06/2010 04:48:00 AM
5
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Monday, May 3, 2010
'रंजिश का शामियाना..'
...
"देहलीज़ से उठे नैन..
ना जाने क्यूँ थे बेचैन..
सफ़र की थकान थी..
या..
सपनों का आशियाना..
साँसों की खलिश थी..
या..
रंजिश का शामियाना..
क्या दरिया बाँध सकूँगा..कभी...
क्या काज़ल मिटा सकूँगा..कभी..
क्या माज़ी भुला सकूँगा..कभी..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
5/03/2010 03:00:00 AM
8
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..