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Priyanka Jain
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Saturday, May 22, 2010
'सेज़..'
...
"रंजिश से लबरेज़..
हाथों की लकीरें..
कब छीन सका है..
हिज्र-ए-सेज़-ए-गुल..!"
...
3 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
दिलीप
said...
waah
May 22, 2010 at 6:35 PM
संजय भास्कर
said...
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,क्षमा चाहूँगा,
May 24, 2010 at 2:45 AM
संजय भास्कर
said...
...बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
May 24, 2010 at 2:46 AM
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