Saturday, May 22, 2010

'सेज़..'


...

"रंजिश से लबरेज़..
हाथों की लकीरें..
कब छीन सका है..
हिज्र-ए-सेज़-ए-गुल..!"


...

3 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

दिलीप said...

waah

संजय भास्‍कर said...

आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,क्षमा चाहूँगा,

संजय भास्‍कर said...

...बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।