Monday, June 7, 2010

'दोज़ख..'


...


"माज़ी के पन्नों में..
निकले हैं..
गुल बेहिसाब..
दफनाये थे..
रिवायतों के खौफ से..
सुलगते जज़्बात..
दर्द से सरोबार..
कुछ सख्त लिबास..
कुछ रंगीं मिजाज़..

क्यूँ..
नूर आजमाता है..
दोज़ख..!!"

...

5 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूबसूरती से लिखा है....

Udan Tashtari said...

वाह!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संगीता आंटी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संगीता पुरी जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद उड़न तश्तरी जी..!!