Monday, June 14, 2010

'बिखरा वजूद..'


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"उनको है शिकायत..
लिखते नहीं नज़्म..
बिखरा हो जब वजूद..
हो कैसे आबाद बज़्म..!!"

...

8 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

दिलीप said...

waah...

nilesh mathur said...

बहुत सुन्दर!

aarya said...

सादर वन्दे !
कुचलते फूल को उठाते नहीं लोग
शायद उसे टूटे दिल से जोड़ देते हैं
रत्नेश त्रिपाठी

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दिलीप जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद निलेश माथुर जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद रत्नेश त्रिपाठी जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद इन्डली जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद उड़न तश्तरी जी..!!