Tuesday, June 15, 2010

'अंतर्मन की चादर..'



...

"सावन की पहली बारिश..
और वो तेरा मुस्कुराना..

मिट्टी की सौंधी सुगंध..
और वो तेरा चहचहाना..

आँगन में नाव बहाना..
और वो तेरा लहकाना..

अरसे से सहज रखी है..
वो भीगी मासूमियत..
और..
अल्हड़ शोखी..

अंतर्मन की चादर पर..!!"

...

7 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

sanu shukla said...

Sundar abhivyakti...

iisanuii.blogspot.com

दिलीप said...

waah bahut sundar...

Dev said...

लाजवाब रचना ........बहुत खूब

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सानू शुक्ला जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दिलीप जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद इन्डली जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद देवेश प्रताप जी..!!