Saturday, October 16, 2010

'साये..'


...

"दिल की तरंगों से..
बह निकले हैं..
साज़ कई..
महफ़िल सजे..
तूफाँ उठे..
ना जलेंगे..
यादों के साये..!!"

...

3 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संजय भास्‍कर said...

शानदार रचना और खूबसूरत प्रस्तुती ...

Anonymous said...

bahut khub...
please visit and comment...

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद शेखर सुमन जी..!!