Tuesday, November 23, 2010

'स्मरण..'



ऋणी हूँ..अपने माँ-बापू जी की..जिन्होंने जीवन का हर पाठ पढ़ाया और चलना सिखाया....


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"बंधी डोर जिस क्षण..
हुआ पावन जीवन..
स्मरण रहेगा सर्वदा..
सींचा जो उपवन..!"

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2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

वाणी गीत said...

इस भावना को नमन !

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद वाणी गीत जी..!!