Friday, November 26, 2010

'ख़लल..'


...


"झुका हूँ जब भी तेरी आगोश में..
पाया है जन्नत का नज़ारा..
दफ्न कर दूँ..रूह को आज..
साँसों के धड़कने से ख़लल होती है..!"


...

4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संजय भास्‍कर said...

किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!

Omi said...

oooooooooooooooooooooooooooooo
i loved thi: ssanson ke shadakne se khalal hoti hai... it will my next status message

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद ओमी दादा.!!