Sunday, December 11, 2011

'गुलाबी धूप..'





...

"जाड़े की गुलाबी धूप..
तुम्हारी यादें..
नम आँखें..
बारहां..
छुपा रखता हूँ..
हर मज़लिस..!!"

...

4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Nidhi said...

आँखों को यूँ नम रहने दो
गम में मुतमईन रहने दो

सदा said...

बढि़या प्रस्‍तुति ।

सदा said...

कल 14/12/2011 को आपकी कोई एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, मसीहा बनने का संस्‍कार लिए ....

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सदा जी..!!