Tuesday, December 20, 2011

'फ़रेबी नज़ारे..'





...


"फ़ासले दरमियां मिटते नहीं..
अक्स आईने से ढलते नहीं..

क्या कशिश है..निगाहों में..
क्या खलिश है..अदाओं में..

निशां जिस्मों पर संवरते नहीं..

क्या नशा है..
उफ़..फ़रेबी नज़ारे..
दामन से उतरते नहीं..!!"


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2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

विभूति" said...

भावों से नाजुक शब्‍द......बेजोड़ भावाभियक्ति....

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सुषमा 'आहुति' जी..!!