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"किस तरह शुक्रिया अता करूँ..
जिस नफ्ज़ गहरा रहे थे..
उदासी के बादल..
तुमने थामा था..
जिस दम टूट रहे थे..
साहिल के काजल..
तुमने थामा था..
जिस लम्हा फ़ना हो रहे थे..
नज़्म के आँचल..
तुमने थामा था..
आज जब जा रहा हूँ..
परदेस..
और..
लौटना ना मुमकिन..
अब भी थामोगे ना..
हर घड़ी..!!!"
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