Thursday, May 10, 2012

'कारवां..'




...


"कमी हो जो भी..
लिख जाना..
जुदाई की लम्बी रातों में..
मिलना मुनासिब कहाँ..
यादों के कारवां..!!"

...

3 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

नीलांश said...

sunder

Nidhi said...

वस्ल की जुस्तजू कायम ही रहे यूँ

M VERMA said...

बहुत खूब