Saturday, May 26, 2012

'मंज़र..'




...


"बारिशों के मेले..
सजे भरी-दोपहर..
गर्मी मेरी साँसों की..
नरमी तेरी आहों की..
ना देखा..
ना सुना..
मंज़र रूमानी ऐसा..!!"

...

5 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

ANULATA RAJ NAIR said...

सचमुच नहीं देखा.......
ऐसा रूमानी मंज़र....

M VERMA said...

वाकई रूमानी

Nidhi said...

शुरूआती दौर है..आगे आगे देखो और क्या क्या दिखाता है वक्त

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद एम वर्मा जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दी..!!