Friday, August 31, 2012
'चुपके-चुपके..'
...
"हर लम्हा आँख नम कर जाते हो..
हर ख्वाब सज़ा कम कर जाते हो..१
पशेमां मौसम हुए जाते हैं..अब..
क्यूँ..तन्हाई में दम भर जाते हो..२
नूर से रंगी तस्वीर वो पुरानी..
फ़क़त..सांसों में जम* भर जाते हो..३
दर्द मचलता है चुपके-चुपके..
खामोशी से मुझमें रम जाते हो..४..
रिवायत-ए-मोहब्बत-ए-आलम..
दो गैरों को हम-दम कर जाते हो..५..!"
* जम = जाम..
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/31/2012 05:02:00 AM
11
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
ग़ज़ल..
'तमन्ना-ए-फिरदौस..'
...
"ज़मीर जो बिछड़ा रूह से..हुआ मलाल है..
ज़िन्दगी की कशमकश पर..उठे सवाल है..१
शिकार हुए नफरत में..गुलिस्तान कितने..
ख्वाबों की ज़मीं पर छाया..फिर अकाल है..२
सैलाब था जो दरमियान..रंगों से भरा..
सिमट गया..शायद..वहशत का कमाल है..३
कश्तियों में डूबा..बेजार आसमान-ए-चिराग..
तमन्ना-ए-फिरदौस..वाह..क्या ख्याल है..४..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/31/2012 03:46:00 AM
1 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
ग़ज़ल..
'कुछ ख्वाब..'
...
"हर पल..सपना-सा था..
रूह में बसा..अपना-सा था..
कारवाँ इक..चलता रहा..
एहसास इक..पलता रहा..
रंज-ओ-गम..जमता रहा..
एह-दे-वफ़ा..रमता रहा..
अहमियत फिसलती रही..
बेबसी मचलती रही..
अँधेरा चमकता रहा..
रकीब दमकता रहा..
सिलवटें उलझी रहीं..
रिवायतें झुलसी रहीं..
लम्हे जलते रहे..
पैमाने मलते रहे..
कुछ ख्वाब..
गुड-से तीखे..
नासूर बंजारे-से..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/31/2012 03:42:00 AM
2
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
दास्तान-ए-दिल..
'खामोश कदम..'
...
"अरसा हुआ..शब नहीं देखी..
साँसों ने हकीकत नहीं देखी..१
बेजुबान ही रहे..फरेबी अरमां..
वाईज ने मल्कियत नहीं देखी..२
अनजान मंजिल..खामोश कदम..
खंज़र ने शोखियत नहीं देखी..३
माहताब-सा हुनर कहाँ रकीब..
मुद्दतों से नसीहत नहीं देखी..४..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/31/2012 03:33:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
ग़ज़ल..
'हार गयी मैं..'
...
"आपको मैने अपना 'बच्चा' ही माना था..हर पल..
आपके सपनों को सच करने के लिए साथ देना चाहा..
थोड़ी मदद भी करी..
शायद..हार गयी मैं..
जितना दुलार..स्नेह..
मन के किसी कोने में दबा हुआ था..
स्वयं ही फूट एक धारा फूट पड़ी..
आपने कभी कहा क्यूँ नहीं..
यह दुलार..प्यार..अपनापन..स्नेह..सम्मान..पर्याप्त नहीं था..
मैं प्रयत्न करती..
सुधारने का हर संभव प्रयास करती..
इन आँखों से बहती हुई अश्रु-धारा..
न जाने किधर जा रही है..
शायद..उस राह पर जहाँ स्वयं से..
कुछ अनकहे प्रश्न रखे हैं..
हर किताब में समाए हुए..
उन अनगिनत शब्दों का सार यही है..
आज..हार गयी मैं..
उस माधुर्य को एकत्र कर..
मोतियों जैसा उज्ज्वल..
निर्मल..
ना रख पाई..
उन स्मृतियों को अंतर्मन में..
समावेष्ट ना कर पाई..
आज..हार गयी मैं.. ..
उन कमल के फूलों की पंखुड़ियों के समान..
आपके आँगन को सुशोभित नहीं कर पाई..
उस गगन में व्याप्त उपलब्धियों को..
आपके शौर्य अनुसार संजों नहीं पाई..
आज..हार गयी मैं..
उस चंचल..मुस्कान को..
काजल जैसा तेज नहीं दे पाई..
उस प्रचंड स्फूर्ति को..
इक दिशा भी ना दे पाई..
सच ही तो है..
आज..हार गयी मैं..
उस नदी में सिमटे हुए तत्वों को..
अनुचित स्थान ना दे पायी..
उस अदभुत बेला में नहाये हुए..
रंगों को अभिमंत्रित नहीं कर पाई ..
आज..हार गयी मैं..
उस जीवन की प्रक्रिया को..
सुन्दरता नहीं दे पायी..
उन पक्षियों की सुगबुहाटों को..
सरगम का स्वर ना दे पाई..
आज..हार गयी मैं..
उन पर्वतों की विशाल श्रृंखला को..
नमन भी ना कर पायी..
उस आम के वृक्ष की छाँव में..
खिलखिलाती जाड़े की धूप को..
अपना ना कर पायी..
आज..हार गयी मैं..
जड़-हीन हो गयी हूँ..मैं..
कोई चेतना नहीं रही..
स्वयं से घृणा भी हुई..
निर्माण ना हो सका..एक भविष्य का..
जहाँ कोई शंका..कुरीतियाँ ना हों..
सच..
आज..
हार ही गयी मैं.. !"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/31/2012 02:41:00 AM
2
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
बेज़ुबां ज़ख्म..
'कीमत-ए-जुदाई..'
...
"बेबसी..तन्हाई..जफा..
थोड़ी महंगी हुई...वफ़ा..१
पलटा नहीं साया..कभी..
था दूर..जो हर दफा..२
रंजिश पाबंद..रूह काफिर..
माज़ी हर नफ्ज़..खफा..३
फलसफा-ए-ज़िन्दगी..
कीमत-ए-जुदाई..नफ़ा..४..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/31/2012 02:41:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
ग़ज़ल..
'मेरी गुड़िया रानी..'
...
"सिमटी-सी..सहमी-सी..
मेरी गुड़िया रानी..
जब-जब सहलाऊं..
आ जाए रवानी..
खिलखिलाती हुई भरे..
जीवन में कहानी..
मेरी प्यारी बिटिया..
हुई अब सयानी..
नयी राहें बुलाएं..
खोजो दिशायें आसमानी..
बढ़ते रहो तुम..
बनेगी इक निशानी..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/31/2012 02:16:00 AM
2
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
बेटू..
'जिद..'
...
"जिद है हमारी..
सूरज चाहिए अब..
तारे की पच्छी..
यादों का मौसम..
गुलमोहर की आगोश..
रेत के घरोंदें..
सरसों के खेत..
बैलगाड़ी की सवारी..
वो कच्चे आम..
वो मीठी इमली..
वो सौंधी मिटटी..
होली के रंग..
रामलीला का रावण..
जन्माष्टमी का मेला..
काका की जलेबी..
ताऊ के लड्डू..
चाचा का वो..
मलाई वाला दूध..
काकी का हलवा..
चाची का अचार..
ताई के गुँजे..
क्या दे सकोगे..
मेरा गुजरा बचपन..
वो खिलखिलाती हँसी..
सावन के झूले..
माँ का आँगन..
मिश्री-सी लोरी..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/31/2012 01:20:00 AM
3
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
स्वच्छंद पंछी..
'भीगी शब..'
...
"दुनिया के मेले में बेकाबू हुए जाते हैं..
रूह की मस्ती में बेनकाब हुए जाते हैं..१
महफ़िल की चाहत..रुसवा ही करती हैं..
जाने किस राह फिर..चलते हुए जाते हैं..२
अब तक चिपके पड़े हैं..चाहत के अंगारे..
मुट्ठी में समंदर..कहाँ जलते हुए जाते हैं..३
भीगी शब..तन्हा महताब..आवारा साँसें..
क्या मुद्दत बाद भी..क़ैद हुए जाते हैं..४
ना आने का वादा..रिवायतों की होली..
क्यूँ..आखिर क्यूँ..पलते हुए जाते हैं..५..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/31/2012 12:53:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
ग़ज़ल..
Thursday, August 30, 2012
'होली..'
...
"बाँध सांसारिक-बंधन की डोरी..
भूल गयी भूत आँख-मिचौली..
क्यूँ खेली गयी ये झूठी होली..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/30/2012 02:37:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
त्रिवेणी..
Monday, August 27, 2012
'खंज़र..'
...
"घोंप दो..
खंज़र कितने..
ना लहू बहेगा..
ना आँसू..
ता-उम्र खुदा रहेगा..
इक चेहरा तेरा..
धज्जी-ए-वजूद..
उड़ाने वाले..!!
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/27/2012 10:20:00 AM
4
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
बेज़ुबां ज़ख्म..
Thursday, August 23, 2012
'रंग..'
...
"चाहत का तेरी..
रंग झड़ता नहीं..
मिटाऊं कितना..
ये धुलता नहीं..
कशिश ऐसी..
बढ़ती जाये..
चमक ऐसी..
चढ़ती जाये..
आओ..
गढ़ दो..
सिरे..
फिर से..
पहन तुझको..
हर शब..
खिल जाऊं..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/23/2012 07:03:00 AM
6
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
दास्तान-ए-दिल..
Wednesday, August 22, 2012
चौरासी लाख जीव-योनिओं से जाने-अनजाने में मन वचन काया से हुई भूल के लिये हाथ जोड़कर बारम-बार क्षमा याचना करते हैं..खमाते हैं..!!
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/22/2012 11:03:00 PM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Monday, August 13, 2012
'झूठ की गठरी..'
...
"मैं मंत्रमुग्ध हो सुनती रही..तुम्हारे हर झूठ की गठरी का भार सहती रही..हर शब्द गंगा-सा पवित्र मान ह्रदय की सूखी डाल पर छिड़कती रही..!!!
तुम भी ठहरे राजनीतिज्ञ, आखिर मेरे कोमल भावों को तोड़ गए..सूक्ष्म तंतुओं का ह्रास कर गए..कर ही गए कलुषित मेरी पावन धरती को, बसते थे जिसमें जीवन-राग..!!!! अब तुम ही कहो, कैसे बांधूंगी घुंघरूं को पायल और कैसे जड़ पाऊँगी कुंदन को तुम्हारी आँखों के पोर पर..??
याद है ना..हर साँझ चमचमाता था तुम्हारी आँखों में मेरी नथनी का हीरा और विस्मय से भर जाता था तुम्हारा चेहरा..!!! खिलखिलाती थी सरसों की खली और महकती थी कनक की हंसी..!!
आज सब ओझल है..विस्तृत हो चला है तुम्हारे तहस-नहस करने का अधिकार..!!!!
जो शेष..वो मेरा टूटा-फूटा अस्तित्व और कुछ अनमोल आँसू, जिनका दाम तुम लगा ना पाए..ए-मेरे रत्नों के व्यापारी..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/13/2012 08:13:00 AM
6
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
कहानी..
Thursday, August 9, 2012
'वक़्त..'
...
"जैसे ही दीवार-घड़ी में आठ बजे तुम याद आये..!!! वक़्त भी ना कितना अजीब है..जब ढेर सारा वक़्त था, तब भी वक़्त नहीं था.. और जब आज वक़्त नहीं है तो बरबस चाहती हूँ काश सारा वक़्त समेट लूँ, थाम लूँ वक़्त की सुईयां और खींच लाऊं तुम्हें फिर से करीब अपने..!!!
पर तुम..अक्सर दुनियादारी में ही उलझे रहते हो..मेरा ख्याल भी तुम्हारे ख्याल में नहीं आता कि कोई तुम्हारे बिना कितना अधूरा अकेला होगा..!!!! बहुत वक़्त गुज़र गया..अब आ भी जाओ ना..कि रात के सारे पहर तुम बिन बेवक्त मुझे चिढ़ाते हैं..!!! बहुत तनहा हूँ, आओ ना..बेवक्त बाँध दो फिर से इस वक़्त की डोरी..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/09/2012 08:24:00 AM
12
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
दास्तान-ए-दिल..
Wednesday, August 8, 2012
'जज़्बात..'
...
"इक हसीं सौगात..
ज़ख्म बेहिसाब..
बिखरे जज़्बात..!!"
...
"इक हसीं सौगात..
ज़ख्म बेहिसाब..
बिखरे जज़्बात..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/08/2012 02:21:00 AM
1 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
त्रिवेणी..
Wednesday, August 1, 2012
'जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ..'
प्रिय दी, जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ..!!!
...
"क्या पैगाम लिखूँ..
हर्फ़ सिमटे..
गुल बिखरे..
खुद..
पहलू में तेरे..
ए-राज़दां..
मुबारक हो..
आशियाँ इक..
खुशबू और मोहब्बत का..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
8/01/2012 02:39:00 AM
0
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
Labels:
'दी..'