Thursday, October 25, 2012

'चाहत के अशआर..'


...


"जानती थी..
नहीं आओगे..
ले जाना उस चौराहे पर खड़े..
गुलमोहर के तने पर लिखे..
चाहत के अशआर..
और..
दीवानगी के निशाँ..!!"


...

8 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Onkar said...

सुन्दर कविता

Dr. sandhya tiwari said...

सुन्दर रचना ..............

virendra sharma said...

चाहत के अशआर

जानती थी नहीं आओगे ,
ले जाना उस चौराहे पे खड़े ,

गुलमोहर के तने पर लिखे ,
चाहत के अशआर और दीवानगी के निशाँ .

खूब सूरत प्रयोग धर्मी भाव कणिका .

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद यशोदा अग्रवाल जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद मयंक साब..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद ओंकार जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद अंजू चौधरी जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद डॉ संध्या तिवारी जी..!!