Monday, November 19, 2012

'गुनेहगार..'




...

"अपने माज़ी का गुनेहगार हूँ..
अपने ही खज़ाने का सारिक हूँ मैं..

गिर नज़रों से..ना जी सकूँगा कभी..!!"

...

3 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ...

संजय भास्‍कर said...

लाजवाब ! वाह !

अरुन अनन्त said...

वाह बहुत खूब सुन्दर रचना
अरुन शर्मा - www.arunsblog.in