Sunday, July 28, 2013
'हरियाली..'
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"छाई हर ओर हरियाली है..
सावन की झड़ी निराली है..
हाइकू से चमकी हर डाली है..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/28/2013 04:06:00 AM
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रूमानियत..
'राष्ट्र-प्रेम-वेतन..'
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"सुंदर रूप से हुआ विवेचन..
सत्य मन में है अवचेतन..
कहाँ-कहाँ जायेंगे बाँध इसे..
सस्ता हुआ राष्ट्र-प्रेम-वेतन..!!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/28/2013 03:54:00 AM
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ज्वलनशील-कथन..
Saturday, July 27, 2013
'राष्ट्र के नाम..'
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"ज़िन्दगी की एक किताब..
मेरे राष्ट्र के नाम..
भ्रष्टाचार..छल-कपट..
हर सेवक का व्यापार..
अपनी झोली भरते जाते..
झूठे वादे हमसे निभाते..
काला धंधा जिनका थोर..
बटोरते धन हर ओर..
नित नये व्यक्तव्य सुनाते..
अमल कभी न कर पाते..
कौन सुने जनता की पीड़ा..
हर कान जड़ा जो हीरा..
खाद्य-सुरक्षा कैसी योजना..
बंद करो घाव कुरेदना..
आखिर कब तक जालसाजी..
बहुत हुई ये मनमानी..
नहीं रुकेंगे..नहीं झुकेंगे..
तस्करों से नहीं डरेंगे..
अधिक अन्धेरा छा गया..
आम आदमी जाग गया..
संभल जाओ..ए-नादानों..
ढोओगे पत्थर-पत्थर खादानों..
कर दो समर्पण जो चुराया..
देगी भारत-माँ माफ़ी की छाया..
स्नेह से जो गद्दारी हुई..
स्वाँस तुम्हारी भारी हुई..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/27/2013 05:22:00 AM
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देश-प्रेम..
'शंखनाद..'
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"शंखनाद का जिम्मा है..
देश-व्यवस्था का हल्ला है..
चलो, उठो अभी करें प्रयास..
करना होगा हर गली अभ्यास..
भ्रष्टाचार, छल-कपट, बंद करो..
अपने घर से ही शुरुआत करो..!!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/27/2013 04:03:00 AM
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ज्वलनशील-कथन..
Thursday, July 25, 2013
'ज्ञान..'
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"कंकर बहुत थे राह में..
सो जूते पहन लिए..
जब थक गए वो थपेड़ों से..
हमने कंधे पे लाद लिए..
अब जिद करते हैं सुबह-शाम..
चाहिए पुराना मुकाम..
यूँ मिलता नहीं..स्मरण रहे..
पूजनीय गुरूजी से ज्ञान..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/25/2013 05:24:00 AM
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गुरुजन..
Monday, July 22, 2013
'आदरणीय गुरुजनों को कोटि-कोटि नमन..'
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गुरुजन समक्ष कृतज्ञता ही प्रेषित कर सकती हूँ..!! उनका सार और ज्ञान ही जीवन-रुपी नदिया पार करता है..!!!
आज की अनूठी जीवन-प्रक्रिया में आश्चर्यजनक कहानी बनतीं हैं..वैसा ही अद्भुत ज्ञान हर राह पर बहता मिल जाएगा..परन्तु सत्य और सर्वोत्कृष्ट ज्ञान कठिन तपस्या, अनुशासित समर्पण और अभ्यास..परम आदरणीय गुरुजनों से ही प्राप्त होता है..!!
"अहो! अहो! श्री सद्गुरु..
करुणासिंधु अपार..
आ पामर पर प्रभु कर्यो..
अहो! अहो! उपकार..!!"..
"ते जिज्ञासु जीवने..
थाय सद्गुरुबोध..
तो पामे समकितने..
वरते अंतरशोध..!!"
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-- परम कृपालु आदरणीय गुरुजनों को कोटि-कोटि नमन..!!
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/22/2013 09:01:00 AM
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गुरुजन..
Sunday, July 21, 2013
'सुंदर ख़्वाब..'
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"क्यूँ इतनी हिम्मत नहीं रखते कि मुझसे ही कह सको..मैं तुम्हारे लिये नहीं..!!! रेज़ा-रेज़ा कहर ढाते हो, क़यामत का इम्तिहान लेना बंद करो..वरना, जल्द ही साँसें चुप हो जायेंगी..!!"
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--कभी-कभी यूँ भी लिखे जाते हैं शब्दों के सुंदर ख़्वाब..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/21/2013 07:35:00 AM
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बस यूँ ही..
Wednesday, July 17, 2013
'तखल्लुस..'
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प्रिय..
तुम क्या गए, मेरी ज़िन्दगी ही बदल गयी..दिन की खुरदुरी मीठी धूप और शाम की मखमली चाँदनी सब अपना वजूद खो बैठे..!!! निशाँ तुम्हारे इस जिस्म पर खुद को सहलाने लगे..रूह पे काबिज़ तुम्हारी साँसें थरथराने लगीं..
'जुदा हुआ खुद से..
जिस रोज़..
वक़्त ये ही था.
ना दरिया सूखा था..
ना नासूर उफ़ना था..
फिर यूँ हुआ..
ज़िन्दगी की रेल में..
चल पड़े रिश्ते..
और मैं छूट गया..!!!'
जाओ..खुश रहना..आबाद रहना..!! तुमसे रोशन हैं मजलिस बेशुमार..
नाम भी नहीं रहा..तखल्लुस लिखा तो उंगलियाँ उठ जायेंगी..
चलता हूँ..!!
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--मापने की मशीन की आवाज़..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/17/2013 12:14:00 PM
7
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मेहमां यादें..
Sunday, July 7, 2013
'क्यूँ..'
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"क्यूँ ख़्यालों में आते हो..
जानते हो आवारा हूँ..
क्यूँ प्यार बढ़ाते हो..
जानते हो ख़ानाबदोश हूँ..
क्यूँ पाबंदी हटाते हो..
जानते हो बदनाम हूँ..
क्यूँ दांव लगाते हो..
जानते हो नाकाम हूँ..
चले जाओ..
क्यूँ वक़्त लुटाते हो..
जानते हो गुमनाम हूँ..!!"
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--यूँ ही..कभी-कभी..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/07/2013 01:45:00 PM
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ज़मीनी हकीक़त..
Saturday, July 6, 2013
'डेट..'
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"बारिश की ज़ालिम बूंदों से..
जिस्म सहलाते हो..
अल्हड़ सुबह पर सुरूर..
जाने कैसे चढ़ाते हो..
तल्ख़ धूप की सरसराहट..
फ़क़त रूमानी बनाते हो..
भीगी शाम और आवारगी..
बेशुमार रंग सजाते हो..
शब..महबूब..लब-ए-शीरीन..
क्यूँ..हसीं कहर ढाते हो..
ख़त्म करो मौसम-ए-हिजरां..
बोलो..'डेट' पर कहाँ बुलाते हो..!!"
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---आँठवी बारिश..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/06/2013 10:09:00 AM
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बारिश..
Tuesday, July 2, 2013
'शरणागत..'
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"समर्पण..
अद्भुत..
भाव..
शरणागत..
हूँ..
नाथ..
दुर्गुण..
दूर..
करो..
स्वीकारो..
मोहे..
आज..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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7/02/2013 03:32:00 AM
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अंतर्मन की पुकार..