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Sunday, March 2, 2014
'ज़ख्म..'
...
"ज़ख्म जैसे भी हों अपने होते हैं.. खुद के सींचे हुए..खुद के रोपे हुए..!!! जाने फिर उनके अंजाम क्यूँ और ज़ख्म देते हैं..!!"
...
--बेवज़ह दर्द..बेशुमार हसरत..
2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
Parul Chandra
said...
बहुत गहरी बात...संक्षिप्त शब्दों में
March 2, 2014 at 12:22 PM
priyankaabhilaashi
said...
सादर आभार पारुल जी..!!!
March 2, 2014 at 8:30 PM
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