Monday, March 10, 2014

'हक़ीक़त की मोहब्बत..'




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"ख़ुशी नापते हुए कब छोटी पड़ जाती है..इसका पता तेज़ बारिश में घिरने पर चला.. कड़कती बिजली और उमड़ते तूफ़ान ने जज़्बात को ही तोड़ डाला..!!

कितनी ज़ालिम होती है न..हक़ीक़त की मोहब्बत..!!"

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